वसंत पंचमी 2024 का हिन्दी कैलेंडर अनुसार महिने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ रही है। वसंत पंचमी का त्योहार सर्वप्रथम माघ मास के पहले शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे वसंत पंचमी कहा जाता है। यह त्योहार सर्दी से गर्मी की ओर मुखमुखी होने का संकेत है और महाकाव्य काव्य और कला में सर्वोत्तमता को याद करता है।
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा भी मनाई जाती है, जिसमें शिक्षा की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सरस्वती माता को विद्या, कला, और बुद्धि की देवी माना जाता है और उन्हें इस दिन पूजा जाता है ताकि विद्या और बुद्धि में वृद्धि हो। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में विशेष प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जो शिक्षा और कला को समर्पित होता है।
वसंत पंचमी का इस्तेमाल बालों में बसंती रंग के फूलों के साथ और बसंत बसंत बनाने के लिए भी किया जाता है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर मेले और उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग नृत्य, संगीत, और आर्ट का आनंद लेते हैं।
शुभ मुहूर्त
- तिथि: बुधवार, 14 फरवरी, 2024,
- वसंत पंचमी मुहूर्त – सुबह 07:10 से दोपहर 12:22 बजे तक
- अवधि – 05 घंटे 12 मिनट
- बसंत पंचमी मध्याह्न का समय – 12:41 बजे
- पंचमी तिथि आरंभ – 13 फरवरी, 2024, दोपहर 02:41 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त – 14 फरवरी, 2024, दोपहर 12:22 बजे।
Basant Panchami 2024 पर सरस्वती पूजा करने की विधि क्या है?
- देवी सरस्वती की मूर्ति को लकड़ी के मंच पर रखें और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
- पूजा क्षेत्र को रंगोली से सजाएं।
- दाहिनी ओर जलता हुआ तेल का दीपक रखें।
- ध्यान में संलग्न हों और प्रतिज्ञा या संकल्प लें।
- निर्विघ्न पूजा के लिए आशीर्वाद पाने के लिए भगवान गणेश का आह्वान करें।
- देवी सरस्वती को बुलाने के लिए आवाहन करें।
- मूर्ति के लिए अर्घ्य, आचमनिया और स्नान अनुष्ठान करें।
- देवी को घी, शहद, दही, गाय के दूध और गुड़ से बना पंचामृत अर्पित करें।
- मूर्ति पर गंगाजल चढ़ाएं।
- मूर्ति को हल्दी, चंदन, सिन्दूर और फूलों से सजाएं।
- देवी को नैवेद्यम अर्पित करें, साथ में ताम्बुलम – एक थाली जिसमें पान के पत्ते, मेवे, नारियल, हल्दी और केला शामिल हो।
- अनुष्ठान का समापन आरती के साथ करें और प्रणाम करें।
वसंत पंचमी का त्योहार वसंत ऋतु के प्रारंभ की सूचना देता है और इसे सारस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं और विद्या, संगीत, कला, और विज्ञान में सफलता की कामना करते हैं। विद्यार्थियों ने इस दिन को विशेष रूप से मनाने का आदान-प्रदान किया है, और वे अपनी किताबें और शिक्षा सामग्री को मां सरस्वती के सामने रखते हैं ताकि उन्हें आशीर्वाद मिले।
वसंत पंचमी को बसंत पंचमी भी कहा जाता है और इसे भारत भर में धूप-छाया, पूजा-अर्चना, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।
“बसंत पंचमी के इस शुभ अवसर पर, बसंत ऋतु के साथ हमारी जिंदगी में नए रंग भरने का समय है। माँ सरस्वती के आशीर्वाद से हमें ज्ञान और समृद्धि मिले। बसंत के इस मौसम में सुख और समृद्धि से भरी हो आपकी जीवन यात्रा।”
बसंत पंचमी का मनाया जाने का कारण ?
बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू पंचांग के मार्ग मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो सामान्यत: जनवरी और फरवरी के बीच आता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जो ज्ञान, कला, संगीत, और विद्या की देवी हैं। बसंत पंचमी को वसंत ऋतु के प्रारंभ का सूचक माना जाता है, जो हरियाली, फूलों, और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
इस दिन शिक्षार्थियों और कलाकारों द्वारा देवी सरस्वती की पूजा की जाती है ताकि उन्हें ज्ञान और कला में आशीर्वाद मिले, और लोगों को नए आरंभ के लिए प्रेरित करे। बसंत पंचमी को वसंत के साथ जुड़ा होता है और इसे सुंदर फूल, रंग-बिरंगे वसंत के साथ मनाने का अवसर मिलता है। इस त्योहार को लोग बच्चों से लेकर बड़ों तक बहुत समर्पण भाव से मनाते हैं और समाज में एकता और उत्साह का माहौल बनाते हैं।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण इस अवसर का सम्मान पीले रंग के कपड़े पहनकर, व्यंजनों का आनंद लेकर, पतंग उड़ाकर और सच्चे मन से देवी सरस्वती की पूजा करके करें। उनकी शाश्वत बुद्धिमत्ता और कलात्मक प्रतिभा आपको रचनात्मक प्रेरणा और बुद्धि का उपहार देगी।
यह बसंत पंचमी आपके सभी सपनों और समृद्धि को पूरा करे!