हरियाली तीज भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार व्रत और उत्सव है जो हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में जैसे कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, आदि में मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य और सुख की प्रार्थना का अवसर है।
हरियाली तीज का नाम हरियाली वन और तीज शब्द से मिलकर बना है। यह त्योहार वन, पेड़, पौधों, फूलों और नदियों की सुंदरता को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं हरी साड़ी और हरे रंग की बिछियां पहनकर विभिन्न पूजा-अर्चना करती हैं और शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, सीता-राम जी की पूजा करती हैं।
हरियाली तीज का व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाता है। व्रत की सुबह श्रावण मास के शुभ मुहूर्त पर शुरू होता है और पूजा-अर्चना के बाद उत्सवीता से मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं खुले आसमान के नीचे गिरगिट की संख्या का गणना करती हैं और उन्हें अपने पति के लंबे आयु की कामना करती हैं। व्रत के दौरान विशेष व्रत भोजन किया जाता है और महिलाएं नगर में उड़ी बनाती हैं।
हरियाली तीज का उत्सव पूरे दिन चलता है और यह दिन महिलाओं के लिए आनंदमय और उत्साहजनक होता है। व्रत के अलावा, मेहंदी लगाना, गीत गाना, स्विंग पर खेलना, ताली बजाना, पानी पर तैरना आदि विभिन्न आनंदोत्सवों का हिस्सा होते हैं।
हरियाली तीज का उत्सव प्रकृति के साथ आत्मा को ताजगी, सुंदरता और खुशहाली का अनुभव कराता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार के साथ प्रेम, सौहार्द और खुशियों का आनंद लेती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
हरियाली तीज पूजा विधि
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है..
1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें।
2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
हरियाली तीज पर हरे रंग का बहुत महत्व होता है। हरे रंग को तीज का प्रतीक माना जाता है और इसका संबंध प्रकृति, फसलों की समृद्धि, उत्साह और सुंदरता के साथ जोड़ा जाता है। इसके अलावा, हरे रंग को प्रेम, सौंदर्य और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।
हरियाली तीज का मुख्य आयोजन हरियाली वन में किया जाता है, जहां प्रकृति की हरियाली और प्रदूषण मुक्तता का प्रतीक दृश्य प्राप्त होता है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी और बिछियां पहनती हैं जो उनके सौंदर्य को और निखारती हैं और उत्सवी वातावरण का भी हिस्सा बनती हैं।हरे रंग का महत्व विवाहित महिलाओं के जीवन में भी होता है। यह रंग पतिव्रता, प्रेम और पति-पत्नी के नए आयाम की प्रतीक होता है। विवाहित महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनकर और श्रृंगार करके अपने पति के साथ उत्साहपूर्वक खेलती हैं और विवाह की बंधन में और मजबूत होने की कामना करती हैं।संक्षेप में कहें तो, हरे रंग का महत्व हरियाली तीज पर प्रकृति, सौंदर्य, फसलों की समृद्धि, उत्साह, प्रेम और खुशियों के साथ जुड़ा होता है। यह रंग महिलाओं के जीवन में प्रेम, पति
हरियाली तीज पर हरे रंग का बहुत महत्व होता है। हरे रंग को तीज का प्रतीक माना जाता है और इसका संबंध प्रकृति, फसलों की समृद्धि, उत्साह और सुंदरता के साथ जोड़ा जाता है। इसके अलावा, हरे रंग को प्रेम, सौंदर्य और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।
हरियाली तीज का मुख्य आयोजन हरियाली वन में किया जाता है, जहां प्रकृति की हरियाली और प्रदूषण मुक्तता का प्रतीक दृश्य प्राप्त होता है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी और बिछियां पहनती हैं जो उनके सौंदर्य को और निखारती हैं और उत्सवी वातावरण का भी हिस्सा बनती हैं।
हरे रंग का महत्व विवाहित महिलाओं के जीवन में भी होता है। यह रंग पतिव्रता, प्रेम और पति-पत्नी के नए आयाम की प्रतीक होता है। विवाहित महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनकर और श्रृंगार करके अपने पति के साथ उत्साहपूर्वक खेलती हैं और विवाह की बंधन में और मजबूत होने की कामना करती हैं।
संक्षेप में कहें तो, हरे रंग का महत्व हरियाली तीज पर प्रकृति, सौंदर्य, फसलों की समृद्धि, उत्साह, प्रेम और खुशियों के साथ जुड़ा होता है। यह रंग महिलाओं के जीवन में प्रेम, पतिव्रता और पति-पत्नी के नए आयाम की प्रतीक होता है।
हरियाली तीज पर हरे रंग का बहुत महत्व होता है। हरे रंग को तीज का प्रतीक माना जाता है और इसका संबंध प्रकृति, फसलों की समृद्धि, उत्साह और सुंदरता के साथ जोड़ा जाता है। इसके अलावा, हरे रंग को प्रेम, सौंदर्य और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।
हरियाली तीज का मुख्य आयोजन हरियाली वन में किया जाता है, जहां प्रकृति की हरियाली और प्रदूषण मुक्तता का प्रतीक दृश्य प्राप्त होता है। महिलाएं हरे रंग की साड़ी और बिछियां पहनती हैं जो उनके सौंदर्य को और निखारती हैं और उत्सवी वातावरण का भी हिस्सा बनती हैं।
हरे रंग का महत्व विवाहित महिलाओं के जीवन में भी होता है। यह रंग पतिव्रता, प्रेम और पति-पत्नी के नए आयाम की प्रतीक होता है। विवाहित महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनकर और श्रृंगार करके अपने पति के साथ उत्साहपूर्वक खेलती हैं और विवाह की बंधन में और मजबूत होने की कामना करती हैं।
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